अंधेरी काली रात
आसमां मे टिमटिमाते तारे
मै, और बस मै होऊ
ना कोई साथ हो नाही कोई देखने वाला
दुनिया की भीड से अलग
आसमाँ को निहारता
मन में खयाली पुलाव पकाता
यूँ ही खुद मे खोया
खुद की कहानिया बनाता
जिसमे हीरो मै होता
बार बार, हर बार
तुम्हारा जिक्र भी होता
तुम्हारे बिना कहानिया अधूरी होती हैं
उनका भी जिक्र जो अब साथ नही
फिर वो याद आ जाते
आसमां मे टिमटिमाते तारे
मै, और बस मै होऊ
ना कोई साथ हो नाही कोई देखने वाला
दुनिया की भीड से अलग
आसमाँ को निहारता
मन में खयाली पुलाव पकाता
यूँ ही खुद मे खोया
खुद की कहानिया बनाता
जिसमे हीरो मै होता
बार बार, हर बार
तुम्हारा जिक्र भी होता
तुम्हारे बिना कहानिया अधूरी होती हैं
उनका भी जिक्र जो अब साथ नही
फिर वो याद आ जाते
जो आये और चले गए
वो भी जो कुछ भी हो,
जाते नही
अरे! सुबह होने को आ गई
चलो सो जाते हैं...
जाते नही
अरे! सुबह होने को आ गई
चलो सो जाते हैं...
वैसे, ये जो नशा इस रात का हैं ना
किसी और नशे में वो बात नही
किसी और नशे में वो बात नही
- Pratiek Rai
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